रायपुर में देश की अरबपति सिंगर की परफॉर्मेंस:अनन्या बिड़ला ने स्टेज पर गाया डूबे-डूबे..सॉन्ग, बोलीं- पर्यावरण बचाने 10 हजार पौधे लगाउंगी
यंग सिंगर और बिजनेस वुमन अनन्या बिड़ला ने रायपुर में परफॉर्म किया। जलवायु परिवर्तन में युवाओं की भूमिका नाम के इस कार्यक्रम में पर्यावरण के बदलावों पर बात की गई और संगीत के जरिए एक एंटरटेनिंग माहौल भी तैयार किया गया। अनन्या के बैंड ने यहां बॉलीवुड गानों और कुछ इंग्लिश साॅन्ग परफॉर्म किए। अनन्या ने यहां फेमस सॉन्ग डूबे-डूबे गाया।
अनन्या देश के मशहूर कारोबारी कुमार मंगलम बिड़ला की बेटी हैं। जोकि 11 अरब डॉलर से ज्यादा की संपत्ति की मालकिन हैं। देश और दुनिया में म्यूजिक कॉन्सर्ट के जरिए सामाजिक मुद्दों पर जागरुकता फैलाने का काम करती हैं। रायपुर के डीडी ऑडिटोरियम में ये कार्यक्रम आयोजित हुआ था। इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के सलाहकार गौरव द्विवेदी ने अनन्या को राजकीय गमछे पहनाकर उनका स्वागत किया।
अनन्या की परफॉर्मेंस से पहले एक पैनल डिस्कशन भी हुआ। अनन्या ने यहां अपनी बात रखते हुए कहा कि आज का युवा समझदार है, वो अपनी जीवन पद्धति के साथ पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में काम कर सकता है। अनन्या बिड़ला ने इस दौरान साल 2023 में 10 हजार पौधे लगाने का संकल्प लिया, इसकी शुरुआत उन्होंने रायपुर के डीडीयू ऑडिटोरियम परिसर से कर दीं। यहां उन्होंने पौधा लगाया।
ऐसे हुई थी अनन्या के म्यूजिक करियर की शुरुआत
अनन्या चाहती ताे उनके सामने पुरखों का खड़ा किया अरबों का कारोबार था। मगर उन्होंने पेशेवर म्यूजिक कंपोजर बनने की राह चुनी। इसके साथ ही साथ अनन्या ने अपनी एक संस्था भी बनाई जिसका नाम है अनन्या बिड़ला फाउंडेशन। ये पर्यावरण जागरुकता, शिक्षा, महिलाओं के स्वास्थ्य उनकी आर्थिक परेशानियों को दूर करने की दिशा में काम करता है।
उन्होंने मीडिया को बताया कि- मैं स्कूल कॉलेज के दिनों म्यूजिक क्लब्स में जाया करती थीं। वहां म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट्स बजाया करती थी। इसमें इतना मजा आता था कि तय कर लिया था म्यूजिक में ही करियर बनाना है। अनन्या कहती हैं मैं आपने गानों में अपने इमोशंस के बारे में लिखती हूं। मकसद ये है कि म्यूजिक के साथ कोई भी अकेला फील न करे। जब मैं बड़ी हो रही थी तो म्यूजिक ही मेरे बेस्ट फ्रैंड की तरह था। मैं चाहती थी और लोगों को भी मेरा म्यूजिक दोस्त की तरह लगे। बस यही करती चली गई। मैं जो करती हूं वो मुझे पसंद है, मेरे परिवार ने भी इसमें मेरा साथ दिया है।
महिलाओं की मदद की
अनन्या ने मीडिया को बताया कि स्वतंत्र नाम के एक अभियान की शुरूआत की थी। जब 17 साल की थीं तो उन्होंने गरीब महिलाओं के बारे में सोचा। अनन्या ने कहा कि मैंने तब ही महसूस किया कि देश में फायनेंशियल गैप है। हमने सोचा कि कस्बे और गांव की औरतों को लोन देते हैं, फायनेंशियल सपाेर्ट देते हैं। मुझे याद है कि इसी तरह हमने एक महिला को 10 हजार का लोन दिया था, आज से 5-6 साल पहले, उन्होंने पार्लर शुरू किया और बाद में उन्होंने काम को आगे बढ़ाया। वो और लोगों को रोजगार दे पाईं, बेटी को पढ़ा रही हैं।