रायपुर: मिशन-2023 के लिए फिर गठबंधन की ओर JCCJ:पिछला चुनाव बसपा के साथ एलायंस में लड़ा था,नए गठजोड़ के लिए अमित जोगी किए गए अधिकृत
जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़-JCCJ आगामी चुनाव में उतरने से पहले फिर से गठबंधन का रास्ता तलाश रही है। रविवार को दिन भर चली कार्यकारिणी और कोर कमेटी की बैठक में इस पर एक आम राय बना ली है। कोर कमेटी ने समान विचारधारा वाली पार्टी अथवा पार्टियों से गठबंधन के लिए JCCJ के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी को अधिकृत कर दिया है। यानी अमित जोगी अपनी ओर से गठबंधन की बातचीत कर पाएंगे।
इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव की रणनीति बनाने के लिए जनता कांग्रेस छत्तीसगढ की प्रदेश कार्यकारिणी और कोर कमेटी की बैठक रविवार को हुई। रायपुर के सिविल लाइंस स्थित जोगी परिवार के निवास सागौन बंगले में पार्टी की केंद्रीय अध्यक्ष डॉ. रेणु जोगी ने इसकी अध्यक्षता की। इसमें प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी, ऋचा जोगी, महामंत्री महेश देवांगन सहित सभी वरिष्ठ नेता शामिल रहे। इस दौरान तीन महत्वपूर्ण संकल्प प्रस्ताव पारित हुए।
पहला प्रस्ताव अमित जोगी की जन अधिकार पदयात्रा को लेकर था। तय हुआ कि इसे सभी जिलों में निकाला जाएगा। इसके लिए सभी जिलाध्यक्षों को बैठक कर फरवरी महीने के अंत तक यात्रा की रूपरेखा बना लें। तय हुआ कि यह यात्रा मार्च में होली के बाद से शुरू कर दी जाएगी। दूसरा संकल्प गठबंधन से जुड़ा था। कहा गया, छत्तीसगढ़ में दोनों राष्ट्रीय दलों के विरुद्ध एक मजबूत विकल्प देना है। ऐसे में समान विचारधारा वाले अन्य दलों से बातचीत करने तथा गठबंधन की संभावनाओं पर अंतिम निर्णय लेने के लिए पार्टी अध्यक्ष अमित जोगी को अधिकृत करता है।
चुनाव से पहले जन अदालत में चार्जशीट
तीसरे संकल्प के रूप में तय हुआ कि पार्टी के पदाधिकारी और सदस्य लोगों के बीच जाकर विधानसभा स्तरीय समस्याओं की सूची तैयार करेंगे। इसे कांग्रेस सरकार के विरुद्ध “आरोप पत्र” यानि “चार्जशीट” का रूप दिया जायेगा। प्रत्येक विधानसभा में विशाल जन अदालत लगाकर, ‘चार्जशीट’ दाखिल की जाएगी। इन जन अदालतों में कांग्रेस सरकार को इस बार सत्ता नहीं सजा देने यानी वोट न देने का फैसला किया जाएगा।
पिछली बार गठबंधन का फायदा मिला था
2018 के विधानसभा चुनाव में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के संस्थापक अध्यक्ष अजीत जोगी ने गठबंधन की रणनीति बनाई थी। इसके तहत उन्होंने बहुजन समाज पार्टी के साथ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के साथ गठबंधन किया था। इसका फायदा पार्टी को चुनाव में हुआ। कांग्रेस की जबरदस्त लहर के बावजूद जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ ने पांच सीटें जीतीं। बसपा को भी दो सीटें मिली थीं। लेकिन यह गठबंधन स्थायी नहीं रहा। लोकसभा चुनाव में जोगी ने बसपा से हाथ खींच लिए। बाद में कहा जाने लगा कि जनता कांग्रेस अब किसी से गठबंधन नहीं करेगी।