रायपुर: सिलतरा राख हादसे की इनसाइड स्टोरी:चूल्हा सुलगाने खोद रहे थे राखड़, धंसा मलबा तो जिंदा दफन हुए तीन लोग,60 मिनट तक तड़पती रही जिंदगियां
भूख इंसान को मजबूर कर देती है। रायपुर के एक ग्रामीण इलाके में यही मजबूरी तीन लोगों की मौत का कारण बन गईं। वो गए तो थे अपने घरों का चूल्हा सुलगाने कि आस लिए, मगर जिंदा नहीं लौटे उनकी लाशें घर पहुंचीं। रोटी की आस ने जिंदा लोगों को लाश बना दिया। रायपुर के सांकरा स्थित एक राख खदान में हुए हादसे की अब हैरान करने वाली जानकारियां सामने आईं हैं।
पुलिस की जांच में सामने आई जानकारी और स्थानीय लोगों ने जो सच बताया वो भयावह है। मंगलवार को हुए इस हादसे के बाद दैनिक भास्कर की टीम मौके पर पहुंची। हादसे में मारे गए तीन लोगों के परिजनों और बस्ती के लोगों ने बताया कि सुबह के वक्त सांकरा बाजार बस्ती का रहने वाला 22 साल का पुनीत मनहरे अपनी मां मोहर बाई, पड़ोस में रहने वाली पांचो बाई और अपनी परिचित 15 साल की ललिता के साथ राख लेने गया था।
इस राख से कोयले की तरह दिखने वाले छोटे गोले ये परिवार बनाते थे। इसी से चूल्हा जलाते थे, घरों में खाना पकता था। इसे आस-पास के लोगों को बेचा भी करते थे। ये राख अच्छी तरह जलती है, मगर पुनीत को पता नहीं था कि ये राख उनकी जिंदगियों को ही खाक में मिला देगी।
स्थानीय लोगों ने बताया कि राख निकालते-निकालते जमीन का ऊपरी हिस्सा किसी छज्जे की तरह बन चुका था, इसके नीचे करीब 7 फीट गहरी जगह में जाकर ये राख निकाल रहे थे, तभी ऊपर का हिस्सा गिर पड़ा। तीनों नीचे दब गए।
राख का बड़ा ढेर पुनीत उसकी मां और पांचो बाई पर गिरा था। जब हादसा हुआ बस्ती के कुछ और लोग भी भीतर ही फंसे थे मगर वो किसी तरह खुद को निकालने में कामयाब रहे। इसके बाद वो भागकर पुलिस को खबर देने पहुंचे। पुलिस को मौके पर पहुंचते और मलबा हटाते करीब 1 घंटे तक का वक्त बीत चुका था। ये 60 मिनट पुनीत, उसकी मां और पांचो बाई की जिंदगी के आखिरी 60 मिनट साबित हुए। जिंदा ही दफन हो चुके इन तीनों की कुछ देर बाद बाहर लाश निकाली गई। धरसींवा थाने के एएसआई प्रियेश जॉन ने बताया कि डॉक्टर्स ने इन्हें मृत घोषित कर दिया। बस्ती के लोगों ने बताया उन्हें भी काफी देर से खबर मिली। वक्त रहते मदद मिलती तो शायद तीन जिंदगियां बच सकती थीं।
पहली बार गई थी बेटी, मां बदहवास
पुनीत उसकी मां और पांचो बाई के साथ 15 साल की ललिता पहली बार राख लाने गई थी। बस्ती के बाकी लोग भी वहां हर रोज सुबह जाया करते थे। इस बार हुए हादसे में ललिता राख के नीचे दबकर बेहोश हो गई, उसे रायपुर के एम्स अस्पताल में भर्ती करवाया गया है, जहां उसका इलाज जारी है। ये खबर पाते ही मां बेहाल हो गई। ललिता की मां कई घंटों तक किसी से कोई बात नहीं कर रही थी। पड़ोस में ही रहने वाले अन्य परिचितों की अचानक हुई मौत से वो स्तब्ध नजर आई।