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दो दिवस का शीतला व्रत कर पाएं स्वास्थ्य, जानिए व्रत रखने की विधि और पूजा मुहूर्त …

हिंदू धर्म में शीतला माता भगवती दुर्गा का ही रूप है. जब गर्मी प्रारंभ हो जाती है तो शरीर में अनेक प्रकार के पित्त विकार भी प्रारंभ हो जाते हैं. शीतला सप्तमी और शीतलाष्टमी व्रत से चेचक के रोगों से बचाने का प्राचीन काल से चला आ रहा व्रत है. आयुर्वेद की भाषा में चेचक का ही नाम शीतला कहा गया है. अतः इस उपासना से शारीरिक शुद्ध, मानसिक पवित्रता और खान-पान की सावधानियों का संदेश मिलता है.

फोड़े फुंसी, वायरल इंफेक्शन जैसी मौसमी बीमारी से मुक्ति के लिए चैत्र कृष्ण पक्ष की सप्तमी से लेकर अष्टमी तक दो दिवस शीतला सप्तमी एवं अष्टमी पूजा, व्रत, मंत्रजाप, दान एवं शीतला माता की विधिवत् पूजा का विधान है. प्लेग से लेकर स्वाईन तथा डेंगू से लेकर मलेरिया जैसी महामारी फैलाने वाली बीमारियों के निदान के लिए हमारे धर्म ग्रंथो में शीतला माता की पूजा का विधान है. माना जाता है कि माता शीतला की पूजा से स्वास्थ्य लाभ होता है.

अतः इन दो दिवस में माता शीतला की पूजा की जाती है और वायरल बीमारियों से मुक्ति की कामना की जाती है. शीतला सप्तमी चैत्र माह के कृष्णपक्ष की सप्तमी तिथि के दिन आती है. इस दिन शीतला माता की पूजा की जाती है. पूजा का उद्देश्य परिवार के सदस्यों को छोटी माता और चेचक, फोड़े फुंसियों से बचाव करना है.

इस बार शीतला सप्तमी 14 मार्च 2023, मंगलवार को आ रही है. इस दिन ज्येष्ठा नक्षत्र और वज्रयोग का संयोग भी है जो सर्वसिद्धिदायक माना जाता है.

व्रत रखने की विधि

शीतला सप्तमी की पूजा विधि

1. हर पूजा की तरह इसमें भी सुबह पहले स्नान करें.

2. इसके बाद शीतला माता की पूजा करें.

3. स्नान और पूजा के वक्त ‘हृं श्रीं शीतलायै नमः’ का उच्चारण करते रहें.

4. माता को भोग में रात के बने गुड़ वाले चावल चढ़ाएं.

5. व्रत में इन्हीं चावलों को खाएं.

व्रत करने वाले को सुबह उठ कर स्नान करना चाहिये. फिर मंत्र बोलकर संकल्प लेना चाहिये.

मंत्र कुछ इस प्रकार है- मम गेहे शीतलारोगजनितोपद्रव प्रशमन पूर्वकायुरारोग्यैश्वर्याभिवृद्धियेशीतला सप्तमी अष्टमी व्रतं करिष्ये

इसके बाद पूरे विधि विधान से माता शीतला की पूजा करें.

फिर बासी यानि ठंडा खाना जो आपने एक रात पहले बनाया हो उसे माता को भोग लगाएं.

उसके बाद शीतला स्तोत्र का पाठ करें. उनकी कथा सुनें और जगराता करें.

इस दिन माता को श्रीफल अर्पित करें और पानी में भिगोई हुई चने की दाल चढ़ाएं. शीतला माता को ठंडा भोजन चढाना चाहिए, जिसे एक दिन पहले रात में बनाकर रख लिया जाता है.

शीतला सप्तमी 2023 – 14 मार्च 2023

शीतला सप्तमी पूजा मुहूर्त – 06:34 से 06:26

सप्तमी तिथि आरंभ – 08:12 बजे (14 मार्च 2023)

सप्तमी तिथि समाप्त – 07:33 बजे (15 मार्च 2023)

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