संस्कार देती है साहित्यिक पत्रकारिता : गिरीश पंकज
संस्कार देती है साहित्यिक पत्रकारिता : गिरीश पंकज
*राकेश शर्मा को मिला 15वां पं. बृजलाल द्विवेदी साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान*
*इंदौर प्रेस क्लब में आयोजित हुआ सम्मान समारोह*
*इंदौर, 2 अप्रैल।* देश की प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिका ‘वीणा’ (इंदौर) के संपादक *राकेश शर्मा* को मीडिया विमर्श परिवार द्वारा रविवार को *इंदौर प्रेस क्लब* में आयोजित सम्मान समारोह में *15वें पं. बृजलाल द्विवेदी स्मृति अखिल भारतीय साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान* से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर समारोह के मुख्य अतिथि प्रख्यात साहित्यकार *गिरीश पंकज* ने कहा कि संपादक के पास ‘सम्यक दृष्टि’ होनी चाहिए, जो मोती चुने, लेकिन आज मोती चुनने वाले संपादक कम होते जा रहे हैं। ‘वीणा’ के संपादक राकेश शर्मा उसी ‘हंस दृष्टि’ के संपादक हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता मध्य प्रदेश लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष *राजेश लाल मेहरा* ने की। आयोजन में प्रयागराज से प्रकाशित होने वाली प्रतिष्ठित पत्रिका ‘सरस्वती’ के संपादक *रविनंदन सिंह*, मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी के निदेशक *डॉ. विकास दवे* और देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर के पत्रकारिता विभाग की अध्यक्ष *डॉ. सोनाली नरंगुदे* विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इस अवसर पर *पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन* एवं इंदौर प्रेस क्लब के अध्यक्ष *अरविन्द तिवारी* भी मौजूद थे।
साहित्यिक पत्रकारिता के महत्व पर गिरीश पंकज ने कहा कि साहित्यिक पत्रकारिता न केवल हमें सूचित करती है, शिक्षित करती है, बल्कि हमें संस्कारित भी करती है। आज के साहित्यकारों को साहित्यिक पत्रकारिता की दिशा पर विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय विचार, राष्ट्रीय महत्व के प्रश्नों एवं चिंताओं को लेकर ‘वीणा’ प्रकाशित हो रही है। इसीलिए ‘वीणा’ को साहित्यिक पत्रकारिता का ‘सुंदर कांड’ कहा जा सकता है।
*अघोषित इतिहासकार होते हैं साहित्यकार : सिंह*
प्रयागराज से प्रकाशित होने वाली प्रतिष्ठित पत्रिका ‘सरस्वती’ के संपादक *रविनंदन सिंह* ने कहा कि साहित्यकार के पास जो दृष्टि होती है, वह सबके पास नहीं होती है। उन्होंने कहा कि दुनिया का प्राचीन साहित्य कवियों ने लिखा है। साहित्यकार अघोषित इतिहासकार होते हैं। साहित्य और साहित्यकार की कोई सीमा नहीं होती है। इसलिए हमारे वेदों में कहा गया है कि सभी दिशाओं से ज्ञान को आने दिया जाए।
*सभ्य समाज में होता है साहित्यकारों का सम्मान : मेहरा*
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मध्य प्रदेश लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष *राजेश लाल मेहरा* ने कहा कि वह समाज सभ्य समाज है, जो साहित्यकारों का सम्मान करता है। उन्होंने कहा कि साहित्य यशस्वी होगा, तो हमारा राष्ट्र यशस्वी होगा। उन्होंने बाबा भारती की कहानी का जिक्र करते हुए कहा कि भरोसे को पैदा करना साहित्य का काम है और उसका संरक्षण करना पत्रकारिता की जिम्मेदारी है।
*राष्ट्रीय धरोहर है वीणा : शर्मा*
‘वीणा’ के संपादक एवं सम्मानमूर्ति *राकेश शर्मा* ने कहा कि वीणा श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति, इंदौर की ही धरोहर नहीं है, अपितु राष्ट्रीय धरोहर है। समाज को इसे संभालने के लिए आगे आना चाहिए। ‘वीणा’ अब 100वें वर्ष में प्रवेश कर रही है। यह पहली साहित्यिक पत्रिका है जो निरंतर प्रकाशित होते हुए 100 वर्ष पूर्ण कर रही है।
*सम्मान के लिए राकेश शर्मा का चयन प्रशंसनीय : डॉ. दवे*
मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी के निदेशक *डॉ. विकास दवे* ने कहा कि साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान के लिए राकेश शर्मा जी का चयन प्रशंसनीय है। राकेश जी ने साहित्यिक पत्रकारिता के धर्म का बखूबी निर्वहन किया है।
*मुख्यधारा की पत्रकारिता से आगे है साहित्यिक पत्रकारिता : डॉ. नरगुंदे*
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर के पत्रकारिता विभाग की अध्यक्ष *डॉ. सोनाली नरंगुदे* ने कहा कि साहित्यिक पत्रिका मुख्यधारा की पत्रकारिता के समानांतर ही नहीं, अपितु उससे आगे है। इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया के बड़े प्रभाव के बाद भी प्रकाशित साहित्य का अपना महत्व है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के चेहरे भी साहित्य के माध्यम से पाठकों के बीच जाना चाहते हैं।
*इंदौर के लिए यह सुखद संयोग : तिवारी*
इंदौर प्रेस क्लब के अध्यक्ष अरविन्द तिवारी ने कहा कि इंदौर के लिए यह आयोजन महत्वपूर्ण है। यह सुखद है कि इंदौर में यह आयोजन दूसरी बार हो रहा है। इस आयोजन के लिए इंदौर प्रेस क्लब का चयन करने के लिए उन्होंने मीडिया विमर्श के कार्यकारी संपादक प्रो. संजय द्विवेदी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।
*हिंदी की साहित्यिक पत्रकारिता को सम्मानित करने का उत्सव: प्रो. संजय द्विवेदी*
त्रैमासिक पत्रिका ‘मीडिया विमर्श’ के सलाहकार संपादक प्रो. संजय द्विवेदी ने बताया कि यह पुरस्कार प्रतिवर्ष हिंदी की साहित्यिक पत्रकारिता को सम्मानित करने के लिए दिया जाता है। इस अवॉर्ड का यह 15वां वर्ष है। ‘मीडिया विमर्श’ द्वारा शुरू किए गए इस अवॉर्ड के तहत ग्यारह हजार रुपए, शॉल, श्रीफल, प्रतीक चिन्ह और सम्मान पत्र दिया जाता है। पुरस्कार के निर्णायक मंडल में नवभारत टाइम्स, मुंबई के पूर्व संपादक विश्वनाथ सचदेव तथा इंदिरा गांधी कला केंद्र, दिल्ली के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी शामिल हैं।
यह दूसरा मौका है, जब ‘वीणा’ के किसी संपादक को पं. बृजलाल द्विवेदी स्मृति अखिल भारतीय साहित्यिक पत्रकारिता सम्मान दिया गया है। इससे पहले वर्ष 2007 में वीणा के तत्कालीन संपादक स्व. श्यामसुंदर व्यास को यह सम्मान प्रदान किया गया था।
इसके अलावा अब तक यह सम्मान ‘दस्तावेज’ (गोरखपुर) के संपादक डॉ. विश्वनाथ प्रसाद तिवारी, ‘कथादेश’ (दिल्ली) के संपादक हरिनारायण, ‘अक्सर’ (जयपुर) के संपादक डॉ. हेतु भारद्वाज, ‘सद्भावना दर्पण’ (रायपुर) के संपादक गिरीश पंकज, ‘व्यंग्य यात्रा’ (दिल्ली) के संपादक डॉ. प्रेम जनमेजय, ‘कला समय’ (भोपाल) के संपादक विनय उपाध्याय, ‘संवेद’ (दिल्ली) के संपादक किशन कालजयी, ‘अक्षरा’ (भोपाल) के संपादक कैलाशचंद्र पंत, ‘अलाव’ (दिल्ली) के संपादक रामकुमार कृषक, ‘प्रेरणा’ (भोपाल) के संपादक अरुण तिवारी, ‘युगतेवर’ (सुल्तानपुर) के संपादक कमल नयन पाण्डेय, ‘अभिनव इमरोज़’ (दिल्ली) के संपादक देवेन्द्र कुमार बहल एवं ‘साहित्य परिक्रमा’ (राजस्थान) के संपादक डॉ. इंदुशेखर तत्पुरुष को दिया जा चुका है।
इस अवसर पर प्रख्यात साहित्यकार कृष्णबिहारी मिश्र, वरिष्ठ पत्रकार डॉ. वेदप्रताप वैदिक एवं अभय छजलानी तथा मीडिया शिक्षक पुष्पेंद्र पाल सिंह को श्रद्धांजलि भी अर्पित की गई। कार्यक्रम का संचालन अंकुर विजयवर्गीय ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन मुकेश तिवारी ने दिया।