जगदलपुर: सांप मुंह में डाल नाचने लगे अघोरी VIDEO:भस्म लेकर किया तांडव, भोलेनाथ हुए क्रोधित; देखने पहुंचे 60 हजार से ज्यादा लोग
छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में भगवान भोलेनाथ की बारात निकली। नंदी पर सवार होकर शिवजी माता पार्वती से विवाह करने पहुंचे। गले में सांप और कंकाल लिए अघोरी बाराती बने। सांपों को मुंह में डालकर करतब दिखाया। भस्म के साथ तांडव किया। पूरा शहर शिवजी की भक्ति में डूबा रहा।
दरअसल, यह मौका था रामनवमी के जश्न का। जब बनारस से पहुंचे मशान मनमौजी ग्रुप ने भगवान भोलेनाथ के विवाह की झलक दिखाई। बस्तर में पहली बार इस तरह का अयोजन किया गया। भगवान भोलेनाथ का विवाह देखने करीब 60 हजार से ज्यादा भक्तों की भीड़ उमड़ी।
बनारस से आए मशान मनमौजी ग्रुप ने मां दंतेश्वरी मंदिर के पास स्थित रामदरबार से शिवजी की झांकी निकाली। इस झांकी में शिवजी का विवाह, माता पार्वती का सति होना, शिवजी का क्रोध दिखाया गया। भस्म से होली खेली गई। यह झांकी गोलबाजार, संजय मार्केट, चांदनी चौक, SBI चौक होते हुए वापस रामदरबार पहुंची।
भोलेनाथ और माता पार्वती का स्वरुप धारण किए युवक-युवती आकर्षण का केंद्र रहे। साथ ही अघोरी बने युवक जगह-जगह आग से खेलते नजर आए। भस्म के साथ तांडव किया गया। सांप के फन को अपनी जीभ से छूते और मुंह में डालकर करतब दिखाया। यह हैरान कर देने वाला करतब लोगों को खूब पसंद आया।
10 सालों से कर रहे यही काम
बनारस से आए मशान मनमौजी ग्रुप के सदस्यों ने बताया कि, जिस तरह से बनारस में बाबा भोलेनाथ जलती चिता की राख से होली खेलते हैं, उसी की एक झलक दिखाई गई है। पिछले करीब 10 सालों से शिव अघोरी की झांकी, शिव विवाह का प्रदर्शन कर रहे हैं। टीम में कुल 14 सदस्य हैं।
उन्होंने बताया कि, देश के अलग-अलग शहरों में जाते हैं। जगदलपुर पहली बार आए। भगवान भोलेनाथ की बारात निकाली गई। करीब 2 से 3 घंटे तक अलग-अलग तरह का प्रदर्शन किया गया। उन्होंने बताया कि, सांपों से खेलना आसान नहीं है। भगवान भोलेनाथ उन्हें शक्ति देते हैं। तभी यह संभव हो पाता है।
तैयार होने में लगते हैं कई घंटे
ग्रुप की सदस्य सपना ने बताया कि, भोलेनाथ, माता पार्वती समेत अघोरी बनने के लिए हैवी मेकअप किया जाता है। करीब 4 से 5 घंटे तैयार होने में ही लगते हैं। शिवजी और माता पार्वती की एक छोटी सी झलक दिखाना आसान नहीं है, इसके लिए अंदर से शक्ति मिलती है।
ग्रुप के सदस्यों ने बताया कि शिव अघोरी की झांकी से पहले कई घंटों तक इसकी प्रैक्टिस की जाती है। आयोजनकर्ता अनिल लुंकड़ और अविनाश श्रीवास्तव ने बताया कि, पहली बार हुए इस अयोजन में लोगों का भरपूर सहयोग मिला है।