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Varanasi News: बड़े नाम से साइबर ठगी, 10 माह में 150 शिकार, अडाणी, अंबानी के बाद कौन बनेगा करोड़पति तक के नाम से आ रहे कॉल

Varanasi News: ये दो केस सिर्फ उदाहरण हैं. इस साल अक्टूबर तक वाराणसी में साइबर धोखाधड़ी के 150 से अधिक मामले सामने आए हैं. इनमें से 21.47 प्रतिशत मामलों का पता लगाया गया और 63 साइबर फ्रॉडर्स को गिरफ्तार किया गया . अकेले निवेश धोखाधड़ी के लगभग 45 मामले हैं . यह तो साइबर थाना में दर्ज मुकदमे हैं , जबकि इसका कई गुना मामले साइबर सेल में आते हैं .

केस-1

खजुरी पांडेयपुर निवासी होम्योपैथ चिकित्सक सर्वेश कुमार को डिजिटल अरेस्ट कर साइबर ठगों ने 4.49 लाख रुपए उड़ा दिए. महिला साइबर क्रिमिनल मोहिता शर्मा ने सीबीआई अफसर के आईडी से फोन कर सर्वेश को उद्योगपति मुकेश अंबानी का पार्टनर बनाने का ऑफर दिया. बताया कि अंबानी पूर्वांचल में 500 करोड़ का हास्पिटल बनाएंगे, जिसमें आपको साझीदार बनाना चाहते हैं. निवेश के नाम साइबर फ्रॉड किया गया.

केस-2

पांडेयपुर के रहने वाले सिद्धार्थ कुमार से साइबर फ्रॉड ने निवेश के नाम पर 42 लाख रुपये की धोखाधड़ी की. क्रिमिनल ने बड़े उद्योगपति अडानी-अंबानी समेत कई बड़ी कंपनियों के शेयर में निवेश करने पर हाई रिटर्न का ऑफर दिया था. फ्रॉड के झांसे में आकर पूरी जिंदगी की कमाई गंवा बैठे. साइबर थाना में फ्रॉड के बारे में तमाम जानकारियां भी शेयर किया, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई.

63 साइबर फ्रॉडर अरेस्ट

ये दो केस सिर्फ उदाहरण हैं. इस साल अक्टूबर तक वाराणसी में साइबर धोखाधड़ी के 150 से अधिक मामले सामने आए हैं. इनमें से 21.47 प्रतिशत मामलों का पता लगाया गया और 63 साइबर फ्रॉडर्स को गिरफ्तार किया गया. अकेले निवेश धोखाधड़ी के लगभग 45 मामले हैं. यह तो साइबर थाना में दर्ज मुकदमे हैं, जबकि इसका कई गुना मामले साइबर सेल में आते हैं. पांच लाख रुपये से कम की साइबर ठगी की शिकायत साइबर सेल में होती है. तीन दिन पहले आजमगढ़ पुलिस ने ऑनलाइन बेटिंग एप रेड्डी, अन्ना, लोटस, महादेव आदि के जरिए लोगों को ठगने वाले साइबर गिरोह का पर्दाफाश किया था. 11 साइबर ठगों को गिरफ्तार किया गया था. 169 बैंक खातों के दो करोड़ रुपये फ्र ज किए गए थे. इनका नेटवर्क पूर्वांचल, यूपी, बिहार, आंध्र प्रदेश समेत 12 राज्यों में फैला था.

आम पब्लिक को फंसाने का तरीका

शिकार को लुभाना

साइबर फ्रॉड लोग संभावित लक्ष्यों तक पहुंचने के लिए वाट्सएप, टेलीग्राम, इंस्टाग्राम, फेसबुक और लाइव प्रसारण जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों का उपयोग करके ऑनलाइन ट्रेडिंग पाठ्यक्रमों, सेमिनारों और मेंटरशिप कार्यक्रमों के जरिए व्यक्तियों को लुभाते हैं.

झूठा प्रतिनिधित्व

ये साइबर फ्रॉड अक्सर सरकार द्वारा पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के प्रतिनिधि या कर्मचारी के रूप में पेश आते हैं. वे पीडि़तों को अडानी-अंबानी जैसे उद्योगपतियों की कंपनियों में निवेश, ऐसे एप्लिकेशन डाउनलोड करने के लिए राजी करते हैं जो उन्हें शेयर खरीदने, आईपीओ में सदस्यता लेने और संस्थागत खाता लाभ तक पहुंचने की अनुमति देने का दावा करते हैं – ये सब बिना किसी आधिकारिक ट्रेडिंग या डीमैट खाते की आवश्यकता के.

भ्रामक प्रथाएं :अक्सर साइबर फ्रॉड इन योजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए फर्जी नामों से पंजीकृत मोबाइल नंबरों का उपयोग करते हैं, जिससे उनके कार्यों का पता लगाना कठिन हो जाता है.

फर्जी गिरफ्तारी : साइबर फ्रॉड लोगों के कानूनी परेशानी के डर का फायदा उठाता है, जिसमें साइबर अपराधी खुद को कानून प्रवर्तन अधिकारी बताते हैं.

इस तरह साइबर फ्रॉड करते हैं वर्क

प्रारंभिक संपर्क : यह घोटाला आमतौर पर पुलिस होने का दिखावा करने वाले किसी व्यक्ति के फोन कॉल या ईमेल से शुरू होता है, जो विश्वसनीय दिखने के लिए अक्सर आधिकारिक भाषा और नकली कॉलर आईडी का उपयोग करता हैं.

झूठे आरोप

पीडि़त पर धन शोधन या मादक पदार्थों की तस्करी जैसे अपराधों का झूठा आरोप लगाया जाता है, और उसे विश्वसनीय बनाने के लिए फर्जी सबूत दिखाए जा सकते हैं.

गिरफ्तारी की धमकी

साइबर फ्रॉडर दावा करता है कि गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है, चेतावनी दी गई है कि अगर पीडि़त ने ऐसा नहीं किया तो अधिकारी उसके स्थान पर आएंगे. साइबर क्रिमिनल एक डिजिटल गिरफ्तारी की शुरुआत करता है, जिसके तहत पीडि़त को वीडियो कॉल पर ऑनलाइन रहना पड़ता है, जहां वे नकली पुलिस स्टेशन के दृश्य भी दिखा सकते हैं. कुछ पीडि़तों को होटल का कमरा बुक करने और 24-48 घंटों तक डिजिटल गिरफ्तारी में रहने के लिए कहा जाता है.

भुगतान की मांग

गिरफ्तारी से बचने के लिए पीडि़त पर तुरंत भुगतान करने का दबाव डाला जाता है, अक्सर वायर ट्रांसफर, प्रीपेड डेबिट कार्ड या क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से किया जाता है.

धमकी की रणनीति

शीघ्र अनुपालन के लिए दबाव बनाने के लिए हिंसा या आगे की कानूनी परेशानी की धमकियों का उपयोग किया जाता है. जब पीडि़त भुगतान कर देता है, तो साइबर क्रिमिनल या फ्रॉड गायब हो जाता है. कभी-कभी अधिक पैसे मांगने या अतिरिक्त धमकियां देने के लिए पुन: प्रकट हो जाता है.

सजगता से ही होगा बचाव

– इंटरनेट मीडिया पर अपनी व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें.

– लोगों से ऑनलाइन चैटिंग के दौरान भी प्रयास करें कि वह सार्वजनिक न हो.

– किसी भी अंजान व्यक्ति के फोन कॉल पर अपने बारे में जानकारी न दें.

– अंजान मेल, मैसेज के जरिए मिले किसी प्रलोभन, सूचना की जांच जरूर कर लें.

– ठगी का शिकार होने पर 7839856954 हेल्पलाइन साइबर सेल वाराणसी में कॉल करें.

– 1930- साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर केंद्रीय गृह मंत्रालय में सूचना दें.

– एनसीसीपीआर-नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल में कंप्लेन करें.

हर वक्त पब्लिक के साथ कमिश्नरेट पुलिस खड़ी है. साइबर फ्रॉड से से बचने के लिए अवेयर रहने की जरूरत है. अंजान मेल, मैसेज के जरिए मिले किसी प्रलोभन से बचना चाहिए. डर या शक होने पर तत्काल साइबर पुलिस से संपर्क करें.

The Alarm 24
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