छत्तीसगढ़

विश्व हाथी दिवस पर विशेष : हाथियों के आगमन से उदंती सीता नदी अभ्यारण्य में वन्य जीवन को नया जीवन, 250 हेक्टेयर में हुआ ग्रासलैंड का विकास

गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के उदंती सीता नदी अभ्यारण्य में हाथियों की बढ़ती उपस्थिति ने वन्य जीवन और पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव डाला है. क्षेत्र में हाथियों के आमद के बाद यहा की फिजा तेजी से बदल रही है. अभ्यारण्य के उप निदेशक वरुण जैन ने बताया कि शुरू के तीन साल तक हांथी मानव द्वंद रोकने में व्यस्त रहे,लेकिन हमने 2023 के बाद हमे कई सकारात्मक बदलाव नजर आए जो हाथियों की मौजूदगी के कारण ही संभव हुआ. जैन ने बताया कि कूलहाड़ी घाट, तोरेंगा और सीता नदी इलाके के पहाड़ी इलाके में घने वन है. हाथी अपने आवाजाही के लिए डंगालों की छ्टनी कर इसे खोलने का काम किया. खुला वातावरण मिला तो ग्रास लैंड का विकास हुआ.

उन्होंने बताया कि अक्टूबर 2023 से दिसंबर 2023 तक हाथियों का झुंड अरसीकन्हार रेंज के बिलपानी के जंगल में थे, यहा घने वनों के डांगलियों को तोड़ खुला इलाका बनाया. देखते ही देखते कुछ माह में लगभग 60 हेक्टेयर का इलाका ग्रास लैंड में तब्दील हो गया था. यह प्राकृतिक बदलाव हाथियों के वजह से आया. ऐसा ही बदलवा कुल्हाड़ी घाट के नारीपानी,देव डोगर के अलावा रिसगांव रेंज मासुला इलाके में भी स्थानिक प्रजाति के दूब, शुकला और भोड प्रजाति के घास उग आए है. अफसर ने बताया है की लगभग 250 हेक्टेयर ग्रास लैंड प्राकृतिक रूप से तैयार हुए, जहां हाथी के अलावा अन्य शाकाहारी जीव चारा चरने स्वच्छंद रूप से विचरण कर रहे हैं.

वरुण जैन ने आगे बताया कि कुल्हाड़ी घाट से अरसी कन्हार की ओर जाने वाले हाथी तोरेंग को अपना कारीडोर बनाए हुए हैं. तोरेंगा में सबसे कम जंगल था लेकिन अभी कुछ सालों से यहां नए पौध की संख्या बढ़ गई है. कुल्हाड़ी घाट इलाके में पाए जाने वाले कुछ फलदार वृक्ष भी इधर उग रहे हैं. हाथी मित्र के हवाले बताया कि हाथी के मल से पौधा का अंकुरण होता देखा गया है. जैन ने हाथी को पर्यावरण का सच्चा साथी बताते हुए एक और फायदा गिनाया. उन्होंने कहा कि हमारे पास 143 बिट है और वन रक्षक केवल 60, ऐसे में हाथियों की उपस्थिति वनों के सुरक्षा की गारंटी बना हुआ है.

रेकी करने ओडिशा से आए थे दल के दो सदस्य

यहा 2019 में आए दो हाथियों के रेकी के बाद 25 हाथियों का एक झुंड आया, जिसकी संख्या अब 40 हो गई है. इसका नाम सिकासेर दल रखा गया है जो अभ्यारण्य के 8 रेंज में से 5 रेंज कुल्हाड़ीघाट, तौरेंगा, सीतानदी,रिसगांव और अरसी कन्हार रेंज में स्वतंत्र विचरण करता है. इन रेंज के घने जंगलों में हाथी के पसंदीदा भोजन भेलवा जड़, कुल्लू छाल, बांस करिल, महुवा, बेला,साल और तेंदू पेड़ का जड़ और पहाड़ी घांस पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है. उदंती नदी और बारहमासी नाला में पर्याप्त पानी की सुविधा भी हाथी के स्थाई डेरा का कारण बन गया. दल पर निगरानी रखने अभ्यारण्य प्रशासन ने 25 हाथी मित्र की ड्यूटी लगाई है. रेंजर डिप्टी रेंजर भी प्रॉपर नजर बनाए रखते हैं ताकि इनकी उपस्थिति में जन जीवन भी प्रभावित न हो ना ही हाथियों को कोई नुकसान हो सके.

हर साल 15 से 20 तालाब पर काम, बांस और फलदार पौध रोपण भी

हाथियों की मौजूदगी हमेशा बनी रहे इसके लिए अभ्यारण्य प्रशासन ने हाथी रहवास विकास योजना के तहत जंगलों में काम करा रही है. उपनिदेशक जैन ने बताया कि दो साल पहले तक पूरे अभ्यारण्य इलाके में 189 तालाब थे. हाथी प्रभावित रेंज में इन्ही में से पुराने तालाब का संधारण के अलावा 50 से ज्यादा नए तलाब बनाए गए. अतिक्रमणकारियों को बेदखल कर खाली हो चुके जमीन में पौधा रोपण किया जा रहा है. हाथी के भोजन मिल सके इसलिए कुल्हाड़ी घाट इलाके में 150 हेक्टेयर और इंदगगांव के 50 हेक्टेयर इलाके में बांस का रोपण किया गया है. तौरेगा और इंदागांव में 40-40 हेक्टेयर, सीतानदी के 20 हेक्टेयर रकबे पर कटहल, आम जैसे फलदार वृक्ष लगाए जा रहे ताकि हाथियों के भोजन में कमी न आए.

अलर्ट एप से घट गई जनहानि, हाथी प्रभावित पूरे राज्य में लागू करने तैयारी

अप्रैल 2022 में सीतानदी रेंज में हाथी ने 24 घंटे भीतर तीन लोगों की जान ले ली. उप निदेशक वरुण जैन हाथियों के ठिकाने बनाने से पहले उनसे हो रही जन हानी रोकने हाथी अलर्ट एप बनाया.मई 2022 में अलर्ट एप काम करना शुरु कर दिया. एप में प्रभावित इलाके के लोगो के मोबाइल नम्बर अपलोड किए गए, हाथी मित्र द्वारा इस एप में हाथी की ताजा लोकेशन डालते ही एप 10 किमी की परिधि में बसे लोगों को अलर्ट कर देता है. प्रभावित 5 रेंज में 70 गांव हैं, जहां लगभग 4 हजार है, इनकी सुरक्षा भी चुनौती से कम नहीं. लेकिन अलर्ट एप के आने के बाद विभाग ने जनहानि में पुरी तरह विराम लगाने सफल रहा है. 2022 तक 7 मौत थी,जिसके बाद मौत का आंकड़ा कभी बढ़ा नही.इन 7 मौत के साथ पिछले पांच साल में कुल 1194 हानि हुई, जिनमे मकान,फसल हानि भी शामिल है. 2023 में अब तक कुल 98 हानि हुई है जो पिछले साल हुई हानि का एक तिहाई है.

एप की सफलता के बाद इसे अब हाथी प्रभावित राज्यों में लागू करने की तैयारी हो रही है. आज 12 अगस्त को राजधानी रायपुर में आयोजित एलिफेंट प्रोजेक्ट ऑफ इंडिया के स्टेरिंग कमेटी के 20वीं बैठक में इस अलर्ट की सफलता का प्रजेटेंशन भी रखा गया है.

The Alarm 24
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